गुरुवार, 1 नवंबर 2007

दोहे 04 : चुनावी दोहे

दोहा 04

टी वी पर दिखने लगे , हरे-भरे से खेत
मौसम आम चुनाव का ,लगता है संकेत

लिए कटोरा हाथ में ,पांच साल के बाद
मुझ गरीब को कह रहे स्वामी मालिक नाथ

जनता की आवाज़ में लोकतंत्र की  रीत
राजनीति के शास्त्र में सूटकेस की जीत

हिंदू-मुसलिम मे फंसी मतदाता की टांग
कुर्सी के व्यापार में कैसे -कैसे स्वांग


मैडम अम्मा श्री चरण कंठी माला सौंप
टिकट अगर मिल जाय तो,फिर काहे का खौफ

माथा टेकत-टेकते, सिल पर परो निशान
बिना रीढ़ वाले खड़े, चलते सीना तान


निर्दल को न जिताइए मोटा जिसका पेट
लँगडी जब सरकार हो ऊँचा कर दे रेट

-आनन्द पाठक-

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